Guru Purnima- आध्यात्मिक गुरु न होने पर कैसे करें गुरु पुर्णिमा पूजन

हमारे भारतीय समाज मे ईश्वर, माता पिता और गुरु इन तीन लोगों को पूजनीय माना गया है। और गुरु का स्थान तो इन सबमे सबसे ऊपर रखा गया है। इसी लिए आषाढ़ मास की पुर्णिमा तिथि को गुरु के पूजन दिवस (guru purnima) के रूप मे मनाया जाता है।
गुरु पुर्णिमा के दिन मूलतः आध्यात्मिक गुरु के पूजन की बात की जाती है। वो गुरु जो हमे इस संसार के भव बाधा से पार लगाए जो हमारे आध्यात्मिक प्रश्नो का सटीक जवाब प्रदान करे। साथ ही जो हमारे मन मे उठ रही धार्मिक संकाओं को शांत करें।
कुछ वर्षों पहले तक और आज भी बहुतायत लोग शैक्षणिक गुरु के अलावा एक आध्यात्मिक गुरु से गुरु मंत्र लेते है, और उनके द्वारा प्रदान किए गए गुरु मंत्र का आजीवन अनुशरण करते थे लेकिन समय के साथ उन्होने इस प्रथा को त्यागना शुरू कर दिया और गुरु मंत्र की प्रथा बहुत ही कम हो गई है।
इसीलिए आज भी हम गुरु पुर्णिमा की तिथि पर उसका आयोजन तो करते है लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे भी होते है जिन्होंने किसी निश्चित व्यक्ति को अपना गुरु नहीं बनाया है।
तो आज इस लेख मे हम बात करेंगे यदि आपका कोई आध्यात्मिक गुरु न हो तो फिर इस पवन त्योहार पर किस का पूजन किया जाये।
ऐसा नहीं है कि आध्यात्मिक गुरु से गुरु मंत्र लेने के बाद ही गुरु पुर्णिमा पूजन किया जाना चाहिए लेकिन और भी कई तरीके है गुरु पुर्णिमा का त्योहार मनाने का। लेकिन हा यदि आपके सामर्थ्य मे हो तो जीवन मे गुरु मंत्र लेना चाहिए सभी व्यक्तियों को।
तो यदि आपका कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं है। तो आप अपने इष्ट देव के गुरु का पूजन कर सकते है जैसे प्रभु श्रीराम के गुरु वशिष्ठ या फिर भगवान श्री कृष्ण के गुरु संदीपनी ।
दूसरा आप भगवान गणेश की तरह माता पिता को सर्वस्व मान कर उनका पूजन कर सकते है है क्योंकि माता पिता से बड़ा गुरु इस संसार मे कोई हो ही नहीं सकता है।
और तो और वेदों मे विदित है शिव हम सभी के गुरु रूप है। जब भी हम यज्ञोपवीत संस्कार का आयोजन करते है तो सर्वप्रथम बागवान शिव को ही गुरु मानकर हमे गायत्री मंत्र का गुरु मंत्र प्रदान किया जाता है।
गुरु पुर्णिमा का आयोजन गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा उनको अपना धन्यवाद प्रदान करना होता है कि किस प्रकार से उन्होने हमारे जीवन के हर मुश्किल घड़ी मे हमारे समस्या और शंका का समाधान किया है। इसके पहले के लेख मे भी हमने भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरुओं के बारे मे उल्लेख किया है कि किस प्रकार उन्होने इस संसार के 24 जीवों को अपना गुरु माना। पूरा पढ़ने के लिए click करे।
आपके जो भी इष्ट देव है उन्हे स्वयं को भी अपना गुरु मानकर आप गुरु पुर्णिमा का पूजन कर सकते है।
अब बात करते है कि गुरु पुर्णिमा पूजन का आयोजन कैसे करें। तो सबसे पहले प्रातः काल स्न्नन ध्यान करके एक निश्चित स्थान पर अपने गुरु की प्रतिमा या चित्र या फिर यदि चित्र न हो तो उनके लिए एक निश्चित स्थान पर ध्यान करके उन्हे पुष्प मिष्ठान और फल इत्यादि का भोग लगाए और उनका ध्यान करके उनसे अपने जीवन मे हर मुश्किल गढ़ी मे सहयोग देने के लिए धन्यवाद करें।
और आगे भी अपना आशीर्वाद बनाए रखने के लिए अनुरोध करें। आध्यात्मिकता के बगैर जीवन मे निष्ठुरता रहती है। जीवन के उद्द्येश्य को लेकर भी मन मे विचार निश्चित नहीं रह सकते है इसलिए हम सभी को किसी ज्ञानी आध्यात्मिक गुरु से गुरु मंत्र ग्रहण करनी चाहिए।
और गुरु पुर्णिमा का दिन किसी आध्यात्मिक गुरु से गुरु मंत्र लेने के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है इसलिए इस दिन आप किसी गुरु से गुरु मंत्र भी ग्रहण कर सकते है।
जीवन मे धन यश किर्ति जितना मायने रखती है उससे कहीं ज्यादा आध्यात्मिक और सांसरिक शांति आवश्यक है और इसी शांति की तलाश मे हम एक आध्यात्मिक गुरु की शरण मे जाते है। और उनसे अपने मन मे चल रहे उथल पुथल का समाधान प्राप्त करते है।
तो इस गुरु पुर्णिमा के महान पर्व पर आप भी अपने आध्यात्मिक गुरु का पूरे मन और श्रद्धा से पूजन करे, और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन को कृतार्थ करे।
गुरु पुर्णिमा पर्व की आप सभी को शुभकामनायें।
!!इति शुभम्य!!